बैंकिंग प्रणाली के साथ साथ , स्वास्थ्य , परिवहन, संचार, शिपिंग और कृषि क्षेत्रों में भी ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी को अपनाकर भारत दुनिया के उन देशों के समक्ष खड़ा हो जायेगा जो कि इस प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी हैं। जी हाँ ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म पीडब्ल्यूसी के एक सर्वेक्षण में ये दावा किया गया है, की आने वाले 5 सालों के भीतर देश के प्रमुख उद्योगों में ब्लॉकचैन प्रौद्योगिकी को शामिल कर अर्थव्यवस्था और व्यापार का एक नयी दिशा दी जाएगी। सर्वेक्षण में दुनिया के प्रमुख 15 देशों को चुना गया जिसमें 600 से अधिक कर्मचारियों ने हिस्सा लिया था।
समय की बचत,उत्पाद की ट्रेसिंग
चीन ,अमेरिका और आस्ट्रेलिया को ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे मज़बूत माना गया है। चीन में जहाँ 60 फीसदी सेवाएं ब्लॉकचैन प्रणाली पर आधारित हैं, वहीँ अमेरिका और आस्ट्रेलिया में भी 70 फीसदी व्यापार में इसे शामिल किया गया है। ब्लॉकचैन अपनाने को लेकर संस्था की ओर से बताया गया है की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता के साथ, लागत में कमी, समय की बचत,उत्पाद की ट्रेसिंग और डेटा के पूर्ण रूप से सुरक्षित होने की मज़बूत स्तिथि बनती है। इसी वजह से अधिकतर देश इसे अपनाने से परहेज़ नहीं कर रहे हैं।
डीएनए के अनुसार ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी की रफ़्तार को लेकर फिलहाल अमेरिका की स्तिथि काफी मज़बूत है। जबकि कई उद्योगों में ढीली व्यवत्शा के चलते चीन को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। पर माना जा रहा है की आने वाले कुछ सालों में चीन व्यापारिक और तकनीकी दृष्टि से अमेरिका को काफी पीछे छोड़ देगा। भारत में व्यवस्था की बात करें तो अगले 5 वर्षों के दौरान स्वास्थ्य और ऊर्जा के क्षेत्र में करीब 30 फीसदी उद्योग इस प्रौद्योगिकी से लैस हो जायेगे। जबकि जबकि बैंकिंग प्रणाली में अभी तक यह आंकड़ा 38 फीसदी तक पहुँच चुका है। ब्लॉकचैन को लेकर सरकारी तंत्र के साथ साथ निजी क्षेत्र की कंपनियां भी आवश्यक चरणों को पूरा करने के प्रयास में लगी हैं।
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