भारतीय बाज़ार में नकली दवाओं का पता लगाने और रोकथाम के लिए ब्लॉकचेन आधारित परियोजना पर काम शुरू हो गया है। परियोजना का अमल में लाने के लिए नीति आयोग और अपोलो हॉस्पिटल साझा रूप से काम कर रहे है। परियोजना के तहत न सिर्फ दवाओं की गुणवत्ता की परख की जाएगी बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कार्यों को संगठित कर समुचित रूप से सफल किया जाएगा। एक अन्य सहयोगी ओरेकल ने भी ज़ोर देते हुए ब्लॉकचेन प्रणाली को निर्माता से लेकर ग्राहक तक स्थापित करने को प्राथमिकता देने की बात कही है।
ब्लॉकचेन से पंजीकरण
गौरतलब है कि भारतीय बाजार में नकली दवाइयाँ व्यापक रूप लेती जा रही है। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में नकली दवाओं का गोरख धंधा करने वाले तेज़ी से पाँव पसार रहे है। बड़े स्तर पर इनकी रोकथाम करना सरकार के लिए बेहद मुश्किल हो रहा है। नीति आयोग की तरफ से हुई पहल में बताया गया है की ब्लॉकचेन की माध्यम से ऐसे सभी लोगों पर निगरानी की जा सकेगी जो दवाओं में मिलावट या उनकी गुणवत्ता के साथ समझौता करते है। ब्लॉकचेन से पंजीकरण के साथ दवाओं की खेप को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। जिससे ग्राहक तक नकली दवा पहुंचने वाले लोगों की धरपकड़ सम्भव होगी।
बिज़नेस स्टैंडर्ड के अनुसार नीति आयोग की इस घोषणा के साथ ब्लॉकचेन आवेदन करने वाले निवेशकों और कारोबारियों को थोड़ी राहत मिली है। उन्हें उम्मीद है की अन्य देशों की भाँति भारत में भी ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए सरकार नए नियम और सरल कानून का गठन करेगी। आयोग की तरफ से कृषि क्षेत्र को ब्लॉकचेन से विकसित किये जाने के भी इशारे किये गए है ताकि ग्रामीण परिवेशमें रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य के साथ साथ उनकी खेती सम्बन्धी समस्याओं के निदान के लिए परेशानी का सामना न करना पड़े।
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