Tuesday, 14 August 2018

अमेरिकी छात्रावास में बढ़ रही क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग

अमेरिका में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार में व्यापक वृद्धि प्रतीत हो रही है न सिर्फ निवेशक बल्कि कॉलेज छात्रों की भी व्यापार के प्रति रुचि बढ़ रही है। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि अमेरिकी छात्रावास क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग का केंद्र बनते जा रहे है। यहाँ बड़ी संख्या में माइनिंग करने वाले छात्रों के आईपी एड्रेस सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष आये है। बताया जा रहा है कि पढ़ाई के लिए लिया गया लोन चुकाने के लिए छात्र क्रिप्टो व्यापार की तरफ आकर्षित हो रहे है। जबकि यहाँ उन्हें माइनिंग कके दौरान होने वाले अतिरिक्त खर्च का भी वहन नहीं करना पड़ रहा है।

छात्रावास में मुफ्त की बिजली

आंकड़ों की बात करें तो अमेरिकी यूनिवर्सिटी के करीब 60 फीसदी ऐसे छात्रवास की पहचान की गयी है। जहाँ से क्रिप्टो माइनिंग का काम चल रहा है। साइबर सुरक्षा को यह जानकारी माइनिंग में इस्तेमाल हो रहे कम्प्यूटर के आईपी एड्रेस से पता चली। जांच करने पर सामने आया की पढ़ाई के लिए लोन को जल्दी चुकाने की मंशा से छात्र क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग कर रहे है। इसके दो फायदे है पहला उन्हें यहाँ मुफ्त की बिजली मिल रही है। दूसरे उन्हें लगातार ट्रेस करना एजेंसियों के लिए क़ाफी मुश्किल हो रहा है।

बतौर मनी कंट्रोल सामान्य रूप से क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के लिए प्रति घंटे 215 किलोवाट बिजली की आवश्यकता होती है। चूँकि ये व्यवसायिक बिजली दरों पर मुहैया होती है तो इसका खर्च काफी होता है। छात्रावास में यह बिजली लगभग मुफ्त ही मिल रही है। साथ ही माइनिंग के ज़रिये उन्हें मुनाफ़ा भी हो रहा है। जिसकी मदद से वह लोन भी चुकाने में सक्षम बन रहे है। साइबर सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि हालांकि इसके लिए छात्रों को पूर्ण रूप से दोषी मानना ठीक नहीं है। लेकिंन इस तरह की घटनाओं से हैकिंग के मामले भी बढ़ सकते है।

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